NPA क्या होता है? Banking Sector को कैसे प्रभावित करता है?

 NPA क्या होता है?

NPA= (Non Performing Assets) किसी बैंक द्वारा दिया गया ऐसा लोन राशि (Loan Amount)  होता है जो 90 दिनों या उससे अधिक समय तक बैंक को लोन का मूलधन और ब्याज का भुगतान बैंक को नहीं मिलाता तो ऐसा लोन राशि को NPA कहा जाता है?



इसको एक उदहारण से समझते हैं, मान लीजिए मोहन नाम का एक व्यक्ति है। वह किसी कारोबार के लिए एक बैंक से 50 लाख रुपये का कर्ज लेता है। कुछ महीनों के लिए उसका व्यवसाय अच्छा चलता है, लेकिन आगे चलकर उसके कारोबार में काफी बड़ा नुकसान होता है, जिसके कारण बैंक को जाने वाले ऋण के मूल और ब्याज को 90 दिनों या उससे अधिक दिनों तक बैंक को वापस नहीं कर पाता है, तो बैंक को वह लोन NPA कहलायेगा।

NPA बैंकिंग क्षेत्र को कैसे प्रभावित करता है?   

बैंकिंग क्षेत्र की मुख्य आय का साधन बैंकों द्वारा दिए गए ऋण पर प्राप्त ब्याज होता है। बैंक ऋण पर प्राप्त ब्याज में से कुछ ब्याज अपने जमाकर्ताओं को देता है। और बैंकों के दूसरे खर्चे हटा दिए जाएं तो बाकी शेष बैंकों का लाभ होता है । इसलिए बैंकों द्वारा कर्ज लेने वाले पर लगाया जाने वाला ब्याज जमाकर्ताओं के मुकाबले ज्यादा होता है।
लेकिन बैंकों के NPA's (Bad loans) का आकार बढ़ने से इसका सीधा असर बैंकों की आय पर पड़ता है।

NPAs के कारण भारतीय बैंकिंग क्षेत्र काफी संकट से गुजर रहा है। इसका अनुमान टाइम्स ऑफ इंडिया में प्रकाशित पिछले साल की एक रिपोर्ट से लगाया जा सकता है।रिपोर्ट के अनुसार,
सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों (PSB) की सकल गैर-निष्पादित संपत्ति (NPA) पिछले सात वर्षों में दोगुनी होकर 2021 में 5.40 लाख करोड़ रुपये हो गई है, जो 2014 में 2.24 लाख करोड़ रुपये थी।


लेकिन हाल ही में इस समस्या के समाधान के लिए केंद्रीय मंत्रिमंडल ने बैड बैंक की स्थापना की घोषणा की है।

अब बैड बैंक क्या है? इसका इतिहास क्या है? और यह कैसे काम करता है ?

इसे हम किसी और दिन के बिंदु में समझेंगे।
तब तक अपना ख्याल रखें और खुश रहें!😊😊






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